प्रश्न: हाल के वर्षों में भारत-यूक्रेन संबंधों के विकास का परीक्षण कीजिए। साथ ही दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के लिए चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिए।
Examine the development of India-Ukraine relations in recent years. Also discuss the challenges and opportunities to increase strategic partnership between the two countries.
उत्तर: भारत और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय संबंध 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद स्थापित हुए। दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया है। हाल के वर्षों में, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत की विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की चुनौती बढ़ी है। भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान की है और कूटनीतिक स्तर पर शांति प्रयासों का समर्थन किया है।
भारत-यूक्रेन संबंधों का विकास
(1) राजनयिक संबंध: भारत ने 1991 में यूक्रेन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी और 1992 में कीव में अपना दूतावास स्थापित किया। दोनों देशों के बीच राजनयिक संवाद लगातार जारी रहा है, जिससे द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिला है। भारत ने यूक्रेन के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग किया है। भारत की विदेश नीति संतुलन बनाए रखने पर केंद्रित रही है।
(2) व्यापार और आर्थिक सहयोग: भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में यूक्रेन का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स प्रमुख हैं। भारत और यूक्रेन के बीच व्यापार 3.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच चुका है। कृषि उत्पादों और तकनीकी सेवाओं में भी सहयोग बढ़ रहा है। व्यापारिक संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
(3) रक्षा सहयोग: भारत ने यूक्रेन से सैन्य उपकरणों की खरीद की है, जिसमें R-27 एयर-टू-एयर मिसाइलें शामिल हैं। यूक्रेन भारतीय वायुसेना के AN-32 परिवहन बेड़े के आधुनिकीकरण में सहयोग कर रहा है। दोनों देशों के बीच रक्षा अनुसंधान एवं विकास में भी साझेदारी की संभावनाएँ हैं। भारत रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
(4) शिक्षा और सांस्कृतिक संबंध: यूक्रेन में लगभग 18,000 भारतीय छात्र चिकित्सा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति और योग को बढ़ावा देने के लिए कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारतीय व्यावसायिक पेशेवर फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में कार्यरत हैं। शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है।
(5) मानवीय सहायता: भारत ने यूक्रेन को चिकित्सा आपूर्ति और राहत सामग्री प्रदान की है। युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में मानवीय सहायता भेजी गई है। भारत ने शांति प्रयासों का समर्थन किया है और संकटग्रस्त नागरिकों की सहायता के लिए कदम उठाए हैं। भारत की मानवीय सहायता नीति को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।
रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने की चुनौतियाँ
(1) रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: भारत को रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहा है। भारत की विदेश नीति को इस संघर्ष के कारण सावधानीपूर्वक संचालित करना पड़ता है। भारत को अपने दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने की आवश्यकता है।
(2) रक्षा क्षेत्र में अस्थिरता: रूस द्वारा निर्मित सैन्य उपकरणों के यूक्रेन में पुनर्व्यवस्थित होने पर आपत्ति जताई गई है। इससे भारत की रक्षा खरीद नीति प्रभावित हो सकती है। भारत को रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।
(3) ऊर्जा सुरक्षा: रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे भारत की ऊर्जा रणनीति पर असर पड़ता है। भारत को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश करनी होगी। ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में कार्य करना आवश्यक है।
(4) व्यापार बाधाएँ: युद्ध के कारण व्यापार मार्गों में व्यवधान उत्पन्न हुआ है, जिससे भारत-यूक्रेन व्यापार प्रभावित हुआ है। परिवहन और लॉजिस्टिक्स में चुनौतियाँ बनी हुई हैं। व्यापारिक संबंधों को बनाए रखने के लिए नई रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता है।
(5) राजनयिक दबाव: पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का दबाव डाला गया है। भारत को अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखने के लिए संतुलन साधना होगा। भारत को बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से अपनी स्थिति को मजबूत करना होगा।
रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के अवसर
(1) रक्षा सहयोग का विस्तार: भारत और यूक्रेन रक्षा अनुसंधान एवं विकास में सहयोग बढ़ा सकते हैं। सैन्य तकनीक और उपकरणों के आधुनिकीकरण में साझेदारी की संभावनाएँ हैं। भारत को रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
(2) व्यापार विविधीकरण: भारत फार्मास्यूटिकल्स और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाकर व्यापार संबंधों को मजबूत कर सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक अवसरों को बढ़ाने की जरूरत है। व्यापारिक संबंधों को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य करना आवश्यक है।
(3) शिक्षा और तकनीकी सहयोग: भारतीय छात्रों के लिए यूक्रेन में उच्च शिक्षा के अवसरों को बढ़ाया जा सकता है। तकनीकी और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने की संभावनाएँ हैं। शिक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य करना आवश्यक है।
(4) मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण: भारत युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण और चिकित्सा सहायता प्रदान कर सकता है। भारत की मानवीय सहायता नीति को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। भारत को संकटग्रस्त क्षेत्रों में सहायता प्रदान करने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
(5) बहुपक्षीय सहयोग: भारत और यूक्रेन संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग बढ़ा सकते हैं। वैश्विक स्तर पर भारत-यूक्रेन साझेदारी को मजबूत करने की जरूरत है। भारत को बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहिए।
भारत-यूक्रेन संबंधों ने हाल के वर्षों में व्यापार, रक्षा और शिक्षा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं, लेकिन भारत के पास रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के कई अवसर भी हैं। संतुलित विदेश नीति और बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से भारत इन संबंधों को और अधिक सुदृढ़ कर सकता है।