प्रश्न: ग्लोबल साउथ समिट के महत्व का मूल्यांकन कीजिए। यह भारत जैसे विकासशील देशों के सामने आने वाले मुद्दों को कैसे संबोधित करता है और इसका वैश्विक कूटनीति और सहयोग पर क्या प्रभाव पडता है?
Evaluate the importance of the Global South Summit. How does it address issues faced by developing countries like India and what impact does it have on global diplomacy and cooperation?
उत्तर: ग्लोबल साउथ समिट विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, जो आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने और सहयोग बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। यह समिट वैश्विक असमानताओं को कम करने, सतत विकास को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में विकासशील देशों की भूमिका को सशक्त बनाने का कार्य करता है।
ग्लोबल साउथ समिट का महत्व
(1) विकासशील देशों की आवाज़: यह समिट विकासशील देशों को वैश्विक मंच पर अपनी चिंताओं और आवश्यकताओं को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। इससे इन देशों को अपनी नीतियों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने और वैश्विक निर्णयों में भाग लेने का अवसर मिलता है।
(2) आर्थिक सहयोग: समिट के माध्यम से विकासशील देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिया जाता है। यह देशों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और वैश्विक व्यापार में उनकी भागीदारी को बढ़ाने में मदद करता है।
(3) तकनीकी साझेदारी: भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में ग्लोबल साउथ के साथ सहयोग कर रहा है। इससे इन देशों को आधुनिक तकनीक का लाभ मिलता है और उनकी डिजिटल क्षमताओं में वृद्धि होती है।
(4) सतत विकास: यह समिट जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के मुद्दों पर चर्चा करने का मंच प्रदान करता है। इससे विकासशील देशों को पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और स्थायी विकास की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।
(5) कूटनीतिक प्रभाव: भारत इस समिट के माध्यम से वैश्विक कूटनीति में अपनी भूमिका को मजबूत कर रहा है। इससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को सशक्त बनाने और वैश्विक निर्णयों में प्रभावी भागीदारी करने का अवसर मिलता है।
भारत पर प्रभाव
(1) अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व: भारत ग्लोबल साउथ के देशों के लिए एक नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है और डिजिटल परिवर्तन में अग्रणी बना हुआ है। इससे भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने और अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने का अवसर मिलता है।
(2) आर्थिक अवसर: समिट के माध्यम से भारत को व्यापार और निवेश के नए अवसर प्राप्त होते हैं। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है और उसे वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी बढ़ाने का अवसर मिलता है।
(3) तकनीकी सहयोग: भारत ने कई देशों के साथ डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर साझा करने के लिए समझौते किए हैं। इससे भारत को अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने और अन्य देशों को डिजिटल परिवर्तन में सहायता करने का अवसर मिलता है।
(4) सुरक्षा और स्थिरता: समिट के माध्यम से भारत क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने में योगदान दे सकता है। इससे भारत को अपनी रक्षा नीतियों को मजबूत करने और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने में सहायता मिलती है।
(5) वैश्विक प्रभाव: भारत इस पहल के माध्यम से वैश्विक स्तर पर अपनी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर रहा है। इससे भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी भूमिका को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने और वैश्विक निर्णयों में भाग लेने का अवसर मिलता है।
वैश्विक कूटनीति और सहयोग
(1) बहुपक्षीय सहयोग: यह समिट वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है और विकासशील देशों को एकजुट करता है। इससे इन देशों को अपनी नीतियों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने और वैश्विक निर्णयों में भाग लेने का अवसर मिलता है।
(2) सामरिक साझेदारी: भारत ने कई देशों के साथ डिजिटल और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए समझौते किए हैं। इससे भारत को अपनी तकनीकी और आर्थिक क्षमताओं को बढ़ाने और अन्य देशों के साथ सहयोग करने का अवसर मिलता है।
(3) जलवायु परिवर्तन: समिट के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाते हैं। इससे विकासशील देशों को पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और स्थायी विकास की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर मिलता है।
(4) वैश्विक व्यापार: यह समिट व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इससे विकासशील देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी बढ़ाने का अवसर मिलता है।
(5) नवाचार और तकनीक: भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल परिवर्तन के माध्यम से ग्लोबल साउथ को सशक्त बना रहा है। इससे भारत को अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने और अन्य देशों को डिजिटल परिवर्तन में सहायता करने का अवसर मिलता है।
ग्लोबल साउथ समिट विकासशील देशों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक सहयोग को बढ़ावा देती है। भारत इस समिट के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है और डिजिटल परिवर्तन में अग्रणी बना हुआ है। यह पहल सतत विकास, व्यापार और वैश्विक स्थिरता को मजबूत करने में सहायक है।