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प्रश्न: भारत में आपदा की तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत करने में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 जैसे कानूनी ढांचे के महत्व पर चर्चा कीजिए। इसके प्रावधानों का बेहतर उपयोग कैसे किया जा सकता है?

Discuss the significance of a legal framework like the Disaster Management Act, 2005 in strengthening disaster preparedness and response in India. How can its provisions be better utilized? 

उत्तर: भारत में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 एक महत्वपूर्ण कानूनी ढांचा है, जो आपदाओं की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को प्रभावी बनाता है। यह केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए संस्थागत तंत्र की स्थापना करता है। इसके तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना की गई, जो नीति निर्धारण, समन्वय और क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की प्रमुख विशेषताएँ:

(1) बहु-स्तरीय प्रशासनिक संरचना: अधिनियम के तहत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन संस्थानों की स्थापना की गई, जिससे समन्वय और त्वरित निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है। जब इन संस्थाओं के बीच प्रभावी सहयोग होता है, तो आपदा राहत प्रयासों की सफलता सुनिश्चित की जा सकती है।

(2) जोखिम न्यूनीकरण और तैयारी को प्राथमिकता: अधिनियम आपदा जोखिम न्यूनीकरण और पूर्व तैयारी को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक प्रावधान करता है। जब पूर्व चेतावनी प्रणाली, संरचनात्मक सुधार और जागरूकता अभियान लागू किए जाते हैं, तो आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

(3) आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली: अधिनियम आपदा के दौरान त्वरित राहत, बचाव और पुनर्वास के लिए प्रभावी उपाय सुनिश्चित करता है। जब समन्वित प्रयास किए जाते हैं, तो बचाव दल तेजी से कार्रवाई कर सकते हैं और प्रभावित समुदायों को समय पर सहायता प्रदान की जा सकती है।

(4) स्थानीय प्रशासन और समुदाय की भागीदारी: अधिनियम में ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों को आपदा प्रबंधन योजना का अभिन्न अंग बनाया गया है। जब स्थानीय प्रशासन को आपदा अनुक्रिया की जिम्मेदारी दी जाती है, तो संकट के दौरान अधिक प्रभावी कार्रवाई संभव होती है। इससे राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया तेज होती है।

(5) नागरिक जागरूकता और सामुदायिक प्रशिक्षण: अधिनियम नागरिक जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देकर आपदा प्रतिक्रिया को मजबूत करता है। जब समुदायों को आपदा प्रबंधन की जानकारी दी जाती है, तो वे संकट की स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इससे राहत कार्य अधिक प्रभावी होते हैं।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रभावी क्रियान्वयन के उपाय:

(1) आधुनिक तकनीकों का अधिकतम उपयोग: आपदा पूर्वानुमान और राहत प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), GIS और बिग डेटा जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए। जब अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है, तो आपदा जोखिम प्रबंधन और राहत कार्यों की प्रभावशीलता में वृद्धि होती है।

(2) स्थानीय स्तर पर आपदा अनुक्रिया क्षमता निर्माण: आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू किया जाना चाहिए। जब स्थानीय नागरिकों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है, तो वे संकट के दौरान त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। इससे जान-माल की क्षति न्यूनतम हो सकती है।

(3) वित्तीय संसाधनों का प्रभावी नियोजन: आपदा राहत निधि का प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए ताकि संकट के दौरान त्वरित सहायता प्रदान की जा सके। जब बजट को सही तरीके से नियोजित किया जाता है, तो प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है और लोगों को तत्काल राहत मिल सकती है।

(4) सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय: केंद्र, राज्य, स्वयंसेवी संगठनों और निजी क्षेत्र के सहयोग से आपदा प्रतिक्रिया को अधिक कुशल बनाया जा सकता है। जब विभिन्न हितधारक एकीकृत प्रयास करते हैं, तो राहत और पुनर्वास कार्यों की दक्षता बढ़ती है। इससे आपदा प्रभावित लोगों को तेजी से सहायता उपलब्ध कराई जा सकती है।

(5) कानूनी अनुपालन और निगरानी तंत्र: अधिनियम के प्रावधानों की सख्त अनुपालना और निगरानी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। जब नियमों को प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है, तो आपदा जोखिम न्यूनीकरण अधिक प्रभावी होता है। इससे आपदा से संबंधित कुप्रबंधन को रोका जा सकता है और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित हो सकती है।

भारत में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 एक प्रभावी कानूनी संरचना प्रदान करता है, जिससे आपदा की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाता है। इसके प्रावधानों का उचित उपयोग सुनिश्चित कर आपदा के प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है। तकनीकी नवाचार, स्थानीय प्रशासन की भागीदारी और वित्तीय संसाधनों के दक्ष उपयोग द्वारा आपदा प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

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