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प्रश्न: भारत में मौजूदा कानूनी ढांचों और न्यायिक मिसालों के लिए जनरेटिव एआई (जीएआई) द्वारा पेश की गई चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। भारतीय कानूनी प्रणाली इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कैसे अनुकूल हो सकती है?

Discuss the challenges posed by Generative AI (GAI) to the existing legal frameworks and judicial precedents in India. How can the Indian legal system adapt to address these challenges effectively?

उत्तर: जनरेटिव एआई (जीएआई) ऐसे उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता मॉडल हैं जो मौजूदा डेटा से नई सामग्री उत्पन्न करते हैं, जैसे कि पाठ, छवियाँ या संगीत। भारत में, मौजूदा कानूनी ढांचे और न्यायिक मिसालें जीएआई द्वारा उत्पन्न जटिलताओं से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से सुसज्जित नहीं हैं।

मौजूदा कानूनी ढांचे और न्यायिक मिसालों के लिए जीएआई द्वारा पेश की गई चुनौतियाँ

(1) बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन: जनवरी 2025 में, भारतीय प्रकाशकों ने OpenAI के खिलाफ कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया, जिसमें उन्होंने बिना अनुमति उनके सामग्री के उपयोग का आरोप लगाया। यह मामला भारत में एआई प्रशिक्षण के लिए कॉपीराइट कानूनों की सीमाओं को उजागर करता है। ​

(2) डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: भारत में डेटा संरक्षण अधिनियम 2023 लागू है, लेकिन जीएआई के संदर्भ में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा और अनधिकृत उपयोग के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।​

(3) भेदभाव और पूर्वाग्रह: भारतीय कानूनी डेटा पर प्रशिक्षित एआई मॉडल में सांप्रदायिक पूर्वाग्रह पाए गए हैं, जिससे न्यायिक निर्णयों में निष्पक्षता पर प्रश्न उठते हैं। ​

(4) न्यायिक जवाबदेही और पारदर्शिता: जीएआई द्वारा उत्पन्न निर्णयों की पारदर्शिता की कमी न्यायिक जवाबदेही को प्रभावित कर सकती है, जिससे न्यायिक प्रक्रियाओं में विश्वास कम हो सकता है।​

(5) अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक क्षेत्राधिकार: OpenAI जैसे विदेशी संस्थानों के खिलाफ भारतीय न्यायालयों में कानूनी कार्रवाई करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि उनके सर्वर और संचालन भारत के बाहर स्थित हैं।

भारतीय कानूनी प्रणाली द्वारा इन चुनौतियों से निपटने के उपाय

(1) समर्पित एआई विनियमन अधिनियम का निर्माण: भारत को एक समर्पित एआई विनियमन अधिनियम बनाना चाहिए, जो जीएआई के उपयोग, प्रशिक्षण डेटा, उत्तरदायित्व और पारदर्शिता को स्पष्ट रूप से परिभाषित करे, जिससे कानूनी स्पष्टता और न्यायिक प्रक्रिया की प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके।​

(2) न्यायिक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: न्यायाधीशों और विधि अधिकारियों को जीएआई की कार्यप्रणाली, इसके कानूनी प्रभावों और संभावित पूर्वाग्रहों के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए, ताकि वे तकनीकी जटिलताओं को समझकर न्यायिक निर्णयों में उचित रूप से शामिल कर सकें।​

(3) एआई नैतिकता और पारदर्शिता मानकों की स्थापना: एआई मॉडल के लिए नैतिकता और पारदर्शिता मानकों की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे उनके निर्णयों की व्याख्या और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके और उपयोगकर्ताओं का विश्वास बनाए रखा जा सके।​

(4) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझौते: भारत को अन्य देशों के साथ सहयोग करके जीएआई के लिए वैश्विक मानकों और समझौतों की दिशा में कार्य करना चाहिए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एआई के उपयोग में समरूपता और न्याय सुनिश्चित हो सके।​

(5) न्यायिक मिसालों का विकास: भारतीय न्यायालयों को जीएआई से संबंधित मामलों में निर्णय देकर न्यायिक मिसालें स्थापित करनी चाहिए, जो भविष्य में मार्गदर्शन प्रदान करें और कानूनी प्रणाली को तकनीकी प्रगति के साथ समन्वित करें।

भारत में जीएआई द्वारा उत्पन्न कानूनी चुनौतियों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनी ढांचे को अद्यतन करना आवश्यक है। समर्पित विनियमन, न्यायिक प्रशिक्षण और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, भारतीय कानूनी प्रणाली इन चुनौतियों का प्रभावी समाधान प्रदान कर सकती है।

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