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प्रश्न: भारत में शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित करने के निहितार्थों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। क्या शिक्षा को वापस राज्य सूची में लाया जाना चाहिए? उदाहरणों के साथ अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।

Critically examine the implications of moving education from the State list to the Concurrent list in India. Should education be brought back to the State list? Justify your answer with examples.

उत्तर: भारत में शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित करना संविधान के अनुच्छेद 246(2) के तहत किया गया था। इससे केंद्र और राज्य सरकारों को शिक्षा नीति पर साझा अधिकार मिला। यह कदम शैक्षिक समानता और समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से था।​

शिक्षा को समवर्ती सूची में स्थानांतरित करने के कारण

(1) राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: समवर्ती सूची में शिक्षा के समावेश से केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर समान शैक्षिक मानकों की स्थापना में सहायता मिली, जिससे देशभर में शैक्षिक समानता सुनिश्चित हुई।​

(2) केंद्रीय योजनाओं का प्रभाव: केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा योजनाओं, जैसे- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) और सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के माध्यम से राज्यों में शैक्षिक सुधारों को लागू करने में सुविधा हुई, जिससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ा।​

(3) वित्तीय सहायता और अनुदान: समवर्ती सूची में शिक्षा के होने से केंद्र सरकार को राज्यों को शैक्षिक सुधारों के लिए अनुदान और वित्तीय सहायता प्रदान करने का अधिकार मिला, जिससे राज्यों में शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हुई।​

(4) शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार: केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं के माध्यम से राज्यों में शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हुआ, जिससे छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियों में वृद्धि हुई और शिक्षा का स्तर समग्र रूप से बेहतर हुआ।​

(5) समान अवसर की उपलब्धता: समवर्ती सूची में शिक्षा के होने से सभी राज्यों में समान शैक्षिक अवसर उपलब्ध हुए, जिससे सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा के द्वार खोले गए।​

शिक्षा को राज्य सूची में पुनः लाने के कारण

(1) स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नीति निर्धारण: राज्य सूची में शिक्षा होने से राज्य सरकारों को अपनी स्थानीय आवश्यकताओं और सांस्कृतिक विविधताओं के अनुसार शिक्षा नीति बनाने की स्वतंत्रता मिलती है, जिससे नीति अधिक प्रभावी और प्रासंगिक होती है।​

(2) राज्य सरकारों की जिम्मेदारी और अधिकार: राज्य सूची में शिक्षा होने से राज्य सरकारों को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक जिम्मेदारी और अधिकार मिलते हैं, जिससे वे अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार योजनाओं और नीतियों को लागू कर सकती हैं।​

(3) संसाधनों का स्थानीय स्तर पर उपयोग: राज्य सरकारें अपनी स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके शिक्षा में सुधार कर सकती हैं, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में अधिक प्रभावी और संदर्भानुसार सुधार संभव होते हैं।​

(4) क्षेत्रीय विविधता का सम्मान: राज्य सूची में शिक्षा होने से राज्य सरकारें अपनी सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीति में बदलाव कर सकती हैं, जिससे स्थानीय संस्कृति और भाषा को बढ़ावा मिलता है।​

(5) प्रतिस्पर्धा और सुधार की संभावना: राज्य सूची में शिक्षा का पुनः लौटना राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है, जिससे शैक्षिक सुधारों में तेज़ी आती है और प्रत्येक राज्य शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त करने की प्रेरणा पाता है।​

शिक्षा को समवर्ती सूची में लाने से देश में शैक्षिक समानता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिला। हालांकि, राज्यों को अपनी विशेष आवश्यकताओं के आधार पर नीति बनाने का अधिकार देना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, शिक्षा को राज्य सूची में पुनः लाना विचारणीय है।

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