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प्रश्न: अमेरिका और चीन लगातार भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदार देश हैं। इस प्रवृत्ति के प्रमुख कारणों का विश्लेषण करते हुए भारत के लिए इसके रणनीतिक निहितार्थों की विवेचना कीजिए।

The United States and China continue to be India’s major trading partners. Analyze the main reasons for this trend and discuss its strategic implications for India.

उत्तर: भारत के वैश्विक व्यापार में अमेरिका और चीन दो प्रमुख सहयोगी देश हैं। अमेरिका के साथ भारत का व्यापार मुख्य रूप से सेवा, प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षेत्र में केंद्रित है, जबकि चीन के साथ व्यापार विनिर्माण और औद्योगिक उत्पादों पर निर्भर है। इन संबंधों की गहराई भारत की आर्थिक और रणनीतिक स्थिति को प्रभावित करती है। 

भारत के अमेरिका के साथ व्यापार में वृद्धि के कारण

(1) आईटी और डिजिटल सेवाएँ: भारत की आईटी कंपनियाँ अमेरिका को सॉफ्टवेयर सेवाएँ प्रदान करती हैं, जिससे भारतीय निर्यात बढ़ता है। अमेरिकी बाजार भारतीय डिजिटल स्टार्टअप्स के लिए अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि वहाँ निवेश और व्यापारिक अवसर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके अलावा, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और डेटा विश्लेषण में भारत-अमेरिका सहयोग लगातार बढ़ रहा है।

(2) रक्षा एवं सामरिक साझेदारी: अमेरिका भारत को उन्नत सैन्य उपकरण और तकनीकी सहायता प्रदान करता है। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने हेतु कई समझौते किए हैं, जिससे व्यापारिक संबंध और अधिक मजबूत हुए हैं। अमेरिका से भारत को ड्रोन, लड़ाकू विमान और मिसाइल प्रणाली जैसे रक्षा उत्पादों की आपूर्ति होती है।

(3) स्वास्थ्य और फार्मास्युटिकल व्यापार: भारत अमेरिका को उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएँ निर्यात करता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत बने रहते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा, जिससे फार्मास्युटिकल निर्यात में वृद्धि हुई। अमेरिकी दवा कंपनियाँ भी भारतीय बाज़ार में निवेश करती हैं।

(4) ऊर्जा सहयोग: भारत और अमेरिका ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं, जिसमें तेल, गैस और अक्षय ऊर्जा प्रमुख हैं। अमेरिका भारत को अत्याधुनिक ऊर्जा तकनीक प्रदान कर रहा है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार बढ़ रहा है। भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में अमेरिका का योगदान महत्वपूर्ण है।

(5) अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश: भारत में अमेरिकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया जाता है, जिससे व्यापारिक अवसर बढ़ते हैं। अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारतीय बाजार में विस्तार कर रही हैं। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलती है और वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति सुदृढ़ होती है।

भारत के चीन के साथ व्यापार में वृद्धि के कारण

(1) औद्योगिक और विनिर्माण आयात: भारत के विनिर्माण क्षेत्र में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत विभिन्न प्रकार की मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक उत्पाद चीन से आयात करता है। यह व्यापारिक संबंध भारत के आर्थिक विकास को प्रभावित करता है और चीन के साथ व्यापारिक निर्भरता को बनाए रखता है।

(2) सस्ते उत्पादों की उपलब्धता: चीनी उत्पाद कम लागत और उच्च प्रतिस्पर्धात्मकता के कारण भारतीय बाजार में अत्यधिक लोकप्रिय हैं। मोबाइल फोन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा उद्योग, और कई अन्य क्षेत्रों में चीन के उत्पादों की व्यापकता है। इन वस्तुओं की कम कीमत और उच्च गुणवत्ता भारतीय उपभोक्ताओं को आकर्षित करती है।

(3) व्यापारिक निर्भरता और विकल्पों की खोज: भारत चीन से बड़े पैमाने पर कच्चा माल और तैयार उत्पाद आयात करता है। हालाँकि, भारत अब अपनी व्यापारिक निर्भरता को कम करने के प्रयास कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे चीन पर निर्भरता को संतुलित किया जा सके।

(4) व्यापार असंतुलन और सुधार की आवश्यकता: भारत-चीन व्यापारिक संबंधों में असंतुलन बना हुआ है, क्योंकि भारत चीन से अत्यधिक आयात करता है। इसे कम करने के लिए भारत घरेलू उत्पादन बढ़ाने और निर्यात को सशक्त करने के उपाय कर रहा है। सरकार व्यापार नीति में सुधार करके इस असंतुलन को ठीक करने का प्रयास कर रही है।

(5) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चीन की भूमिका: चीन वैश्विक व्यापार की प्रमुख आपूर्ति श्रृंखला में अहम स्थान रखता है। भारतीय कंपनियाँ चीन से आवश्यक कच्चा माल और उपकरण आयात करती हैं, जिससे भारतीय उद्योगों की उत्पादन प्रक्रिया प्रभावित होती है। भारत को वैकल्पिक व्यापारिक मार्ग तलाशने और घरेलू उद्योगों को सशक्त करने की आवश्यकता है।

भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थ

(1) आत्मनिर्भर भारत अभियान का सशक्तिकरण: भारत को चीन और अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना होगा। घरेलू विनिर्माण, स्टार्टअप्स और उद्योगों के विकास से भारत की व्यापारिक स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। सरकार की नीतियाँ स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही हैं।

(2) वैश्विक व्यापारिक संतुलन बनाए रखना: भारत को अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। कूटनीतिक और व्यापारिक संतुलन बनाए रखते हुए अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को विस्तार देना भारत के दीर्घकालिक हित में होगा।

(3) तकनीकी नवाचार और अनुसंधान में निवेश: भारत को अनुसंधान और नवाचार में निवेश बढ़ाना चाहिए, जिससे वह अमेरिका और चीन से तकनीकी प्रतिस्पर्धा में आगे रह सके। अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में भारत को अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।

(4) व्यापारिक कूटनीति और नई साझेदारियों का विकास: भारत को व्यापारिक कूटनीति को सशक्त करके नए देशों के साथ व्यापारिक साझेदारी करनी चाहिए। बहुपक्षीय समझौतों और व्यापारिक विविधता से भारत को वैश्विक व्यापार में अधिक स्थिरता मिलेगी।

(5) स्थायी व्यापारिक नीति और आर्थिक सुरक्षा: भारत को अपनी व्यापारिक नीतियाँ इस तरह विकसित करनी चाहिए कि विदेशी व्यापारिक प्रभाव सीमित हो और घरेलू उद्योगों को लाभ मिले। दीर्घकालिक व्यापार नीति भारत की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकती है।

भारत को अमेरिका और चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक साझेदारी के माध्यम से भारत को अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना चाहिए। दीर्घकालिक व्यापारिक रणनीति भारत को व्यापारिक स्थिरता प्रदान करेगी और भविष्य के आर्थिक अवसरों को सुनिश्चित करेगी।

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