प्रश्न: हाल ही में, घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2023-2024 के प्रकाश में, भारत में गरीबी उन्मूलन में सामाजिक हस्तांतरण के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
Analyse the impact of social transfers in poverty alleviation in India, in the light of the recent Household Consumption Expenditure Survey 2023-2024.
उत्तर: सामाजिक हस्तांतरण वे लक्षित सरकारी उपाय हैं, जिनके माध्यम से निर्धन वर्ग को नकद, खाद्य या सेवाओं के रूप में सहायता प्रदान की जाती है। इनका उद्देश्य उपभोग क्षमता बढ़ाकर गरीबी उन्मूलन की प्रक्रिया को संरचनात्मक और टिकाऊ बनाना है।
कोविड-19 महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने पर केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने 2022-23 और 2023-24 के दौरान घरेलू उपभोग व्यय पर लगातार दो सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया था। इस विषय पर दूसरे सर्वेक्षण का फील्ड-वर्क पूरे देश में अगस्त 2023 से जुलाई 2024 के दौरान किया गया।
सामाजिक हस्तांतरण का गरीबी उन्मूलन पर प्रत्यक्ष प्रभाव
(1) आय स्थिरता में योगदान: सामाजिक हस्तांतरणों ने निर्धन परिवारों को नियमित वित्तीय सहायता प्रदान कर उनकी आय में स्थिरता लाई है, जिससे वे अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके हैं।
(2) भोजन व पोषण सुरक्षा: रियायती खाद्यान्न और पोषण कार्यक्रमों के माध्यम से गरीब वर्गों को खाद्य सुरक्षा प्राप्त हुई है, जिससे कुपोषण और भुखमरी की स्थितियों में कमी आई है।
(3) स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता: सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं ने निर्धन परिवारों को आवश्यक चिकित्सा सेवाएँ प्रदान कर उनके स्वास्थ्य व्ययों में कमी लाई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।
(4) शैक्षिक पहुँच में सुधार: शिक्षा से संबंधित योजनाओं और छात्रवृत्तियों ने गरीब बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में सहायता प्रदान की है, जिससे उनकी भविष्य की संभावनाएँ बेहतर हुई हैं।
(5) सामाजिक समावेशन का संवर्धन: वंचित समुदायों को लक्षित योजनाओं के माध्यम से सामाजिक समावेशन को बढ़ावा मिला है, जिससे उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है।
उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2023-24 के संदर्भ में प्रभाव विश्लेषण
(1) ग्रामीण उपभोग में वृद्धि: सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक उपभोग व्यय में 9.3% की वृद्धि हुई है, जो सामाजिक हस्तांतरणों के प्रभाव को दर्शाता है।
(2) शहरी-ग्रामीण खपत अंतर में कमी: ग्रामीण और शहरी उपभोग व्ययों के बीच का अंतर घटकर 70% रह गया है, जो सामाजिक योजनाओं की प्रभावशीलता को इंगित करता है।
(3) भोजन पर व्यय में कमी: खाद्य पदार्थों पर व्यय का प्रतिशत घटकर ग्रामीण क्षेत्रों में 46% और शहरी क्षेत्रों में 39% हो गया है, जिससे उपभोग पैटर्न में बदलाव स्पष्ट होता है।
(4) उपभोग प्राथमिकताओं में विविधता: गैर-खाद्य वस्तुओं जैसे परिवहन, वस्त्र और मनोरंजन पर व्यय में वृद्धि हुई है, जो जीवन स्तर में सुधार का संकेत है।
(5) गरीबी रेखा के नीचे आबादी में गिरावट: सामाजिक हस्तांतरणों के प्रभाव से गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली जनसंख्या में कमी आई है, जो गरीबी उन्मूलन में इन योजनाओं की भूमिका को दर्शाता है।
घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2023-24 दर्शाता है कि सामाजिक हस्तांतरणों ने भारत में गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, दीर्घकालिक समाधान हेतु इन योजनाओं को आर्थिक सशक्तिकरण, शिक्षा और रोजगार सृजन से जोड़ना आवश्यक है।